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मैं इस बात से भी कम्फ़र्टेबल हूँ कि मुझे नहीं पता
पुस्तक अंश: लोग जो मुझमें रह गए
लेखिका: अनुराधा बेनीवाल
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
मकान नहीं था वह, उसके हर कोने में घर की गमक थी। हल्के रंगों के परदे, पेंटिंग्स, छोटे मूढ़े,...
चेन च्येन वू की कविताएँ
ताइवान के नांताऊ शहर में सन् 1927 में जन्मे कवि चेन च्येन वू मंदारिन, जापानी और कोरियाई भाषाओं में पारंगत कवि हैं। अपने कई कविता संकलनों के अतिरिक्त उन्होंने...
बुल्गारियाई कवयित्री एकैटरीना ग्रिगरोवा की कविताएँ
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
सामान्यता
मुझे बाल्टिक समुद्र का
भूरा पानी याद है!
16 डिग्री तापमान की
अनंत ऊर्जा का
भीतरी अनुशासन!
बदसूरत-सी एक चीख़
निकालती है पेट्रा और उड़
जाता है आकाश में
बत्तखों का एक झुंड!
हम सब चिल्लाते...
नेओमी शिहैब नाय की कविता ‘जो नहीं बदलता, उसे पहचानने की...
नेओमी शिहैब नाय (Naomi Shihab Nye) का जन्म सेंट लुइस, मिसौरी में हुआ था। उनके पिता एक फ़िलिस्तीनी शरणार्थी थे और उनकी माँ जर्मन और स्विस मूल की एक...
विनीता अग्रवाल की कविताएँ
विनीता अग्रवाल बहुचर्चित कवियित्री और सम्पादक हैं। उसावा लिटरेरी रिव्यू के सम्पादक मण्डल की सदस्य विनीता अग्रवाल के चार काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं— 'टू फुल मून्स', 'सिल्क...
कविताएँ: अगस्त 2022
विस्मृति से पहले
मेरी हथेली को कैनवास समझ
जब बनाती हो तुम उस पर चिड़िया
मुझे लगता है
तुमने ख़ुद को उकेरा है
अपने अनभ्यस्त हाथों से।
चारदीवारी और एक छत से बने इस छोटे-से...
रोमानियाई कवयित्री निकोलेटा क्रेट की कविताएँ
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
औंधा पड़ा सपना
प्यार दरअसल फाँसी का
पुराना तख़्ता है, जहाँ हम
सोते हैं! और जहाँ से हमारी
नींद, देखना चाह रही होती है
चिड़ियों की ओर!
मत बनाओ अपने लिए कोई
पालना, किसी...
डेज़ी रॉकवेल के इंटरव्यू के अंश
लेखक ने अपनी बात कहने के लिए अपनी भाषा रची है, इसलिए इसका अनुवाद करने के लिए आपको भी अपनी भाषा गढ़नी होगी। —डेज़ी रॉकवेल
डेज़ी रॉकवेल के इंटरव्यू के...
पुस्तक अंश: प्रेमचंद : कलम का सिपाही
भारत के महान साहित्यकार, हिन्दी लेखक और उर्दू उपन्यासकार प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में कई रचनाएँ लिखी हैं। अपने पूरे जीवन...
प्रिया सारुकाय छाबड़िया की कविताएँ
प्रिया सारुकाय छाबड़िया एक पुरस्कृत कवयित्री, लेखिका और अनुवादक हैं। इनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें नवीनतम 'सिंग ऑफ़ लाइफ़ रिवीज़निंग टैगोर्स गीतांजलि' है और अन्य...
आधे-अधूरे : एक सम्पूर्ण नाटक
आधे-अधूरे: एक सम्पूर्ण नाटक
समीक्षा: अनूप कुमार
मोहन राकेश (1925-1972) ने तीन नाटकों की रचना की है— 'आषाढ़ का एक दिन' (1958), 'लहरों के राजहंस' (1963) और 'आधे-अधूरे' (1969)| 'आधे-अधूरे' मोहन...
‘कविता में बनारस’ से कविताएँ
'कविता में बनारस' संग्रह में उन कविताओं को इकट्ठा किया गया है, जो अलग-अलग भाषाओं के कवियों ने अपने-अपने समय के बनारस को देख और जीकर लिखीं। लगभग छह...