अनुवाद: पुनीत कुसुम

“आह!”, चूहे ने कहा, “पूरी दुनिया प्रतिदिन छोटी होती जा रही है। शुरुआत में यह इतनी बड़ी थी कि मैं डर गया था। मैं दौड़ता रहा, दौड़ता रहा और आखिरकार जब मैंने दूर दाएँ-बाएँ दीवारें देखीं तो मुझे ख़ुशी हुई, किन्तु ये लम्बी दीवारें इतनी तेजी से संकरी हुईं कि मैं पलक झपकते ही अंतिम कक्ष में आ पहुँचा हूँ, और वहाँ कोने में वह पिंजड़ा रखा है जिसकी ओर मैं बढ़ता जा रहा हूँ।”

“तुम्हें केवल अपनी दिशा बदलने की ज़रुरत है।”, बिल्ली बोली, और उसे खा गई।

फ़्रांत्स काफ़्का
फ़्रेंज़ काफ्का (३ जुलाई १८८३ - ३ जून १९२४) बीसवीं सदी के एक सांस्कृतिक रूप से प्रभावशाली, लघु कहानियां और उपन्यास के जर्मन लेखक थे। उनकी रचनाऍं आधुनिक समाज के व्यग्र अलगाव को चित्रित करतीं हैं। समकालीन आलोचकों और शिक्षाविदों, व्लादिमिर नबोकोव सहित, का मानना है कि काफ्का 20 वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में से एक है। "Kafkaesque" अंग्रेजी भाषा का हिस्सा बन गया है जिसका उपयोग 'बहकानेवाला', 'खतरनाक जटिलता' आदि के संदर्भ में किया जाता है।