आज तो मन अनमना गाता नहीं
ख़ुद बहल औरों को बहलाता नहीं
आदमी मिलना बहुत मुश्किल हुआ
और मिलता है तो रह पाता नहीं
ग़लतियों पर ग़लतियाँ करते सभी
ग़लतियों पर कोई पछताता नहीं
दूसरों के नंगपन पर आँख है
दूसरों की आँख सह पाता नहीं
मालियों की भीड़ तो हर ओर है
किन्तु कोई फूल गंधाता नहीं
सामने है रास्ता सबके मगर
रास्ता तो ख़ुद कहीं जाता नहीं
धमनियों में ख़ून के बदले धुआँ
हड्डियाँ क्यों कोई दहकाता नहीं।
'हम नहीं खाते, हमें बाज़ार खाता है'