आजकल प्रेम
शब्दकोश का इतराया हुआ वो शब्द है
जिसे कविताओं ने सबसे ज़्यादा सर चढ़ाया है।
मैं
प्रेम पर लिखी सब कविताओं का
आज खुले आम बहिष्कार करता हूँ
और प्रेम से जुड़े हर शब्द पर
हलफ़नामे में ऐतराज़ करता हूँ।

मैं तुमसे मुलाकात के लिए तरसा
मगर ज़मीन के हर हिस्से पर इसे वर्जित कहा गया
मैं लेकर आया मेरे मनुष्य होने के प्रमाण
किन्तु प्रमाण जाति और धर्म का माँगा गया
मैंने केदारनाथ सिंह की कविता का वाचन किया
कि दुनिया को हाथ सा गर्म और सुन्दर होना चाहिए
दुनिया गर्म हो गयी और
मेरी सूरत बदलकर मुझे सुन्दर बनाया गया।

प्रेम की विधाओं को अव्यक्त कहते ही
मेरी अभिव्यक्ति पर एक प्रश्नचिह्न लगाया गया
मैंने कविताओं में तुम्हें पुकारने का साहस जुटाया
और प्रेम कविता लिखने पर अभियोग चलाया गया
मैं समाज के संवैधानिक कटघरे में
तेरी गवाही की प्रतीक्षा में वर्षों से खड़ा हूँ
मेरे पक्ष में यदि तुम एक प्रेम कविता भी गुनगुना लोगी
तो मैं
दूसरे हलफ़नामे पर ऐतराज़ वापस ले लूँगा।

राहुल बोयल
जन्म दिनांक- 23.06.1985; जन्म स्थान- जयपहाड़ी, जिला-झुन्झुनूं( राजस्थान) सम्प्रति- राजस्व विभाग में कार्यरत पुस्तक- समय की नदी पर पुल नहीं होता (कविता - संग्रह) नष्ट नहीं होगा प्रेम ( कविता - संग्रह) मैं चाबियों से नहीं खुलता (काव्य संग्रह) ज़र्रे-ज़र्रे की ख़्वाहिश (ग़ज़ल संग्रह) मोबाइल नम्बर- 7726060287, 7062601038 ई मेल पता- [email protected]