आने वाले दिनों में
मौसमों के बदलने से पहले
नज़रें बदल जायेंगी
क्योंकि हृदय से भावनाओं का सूखना
निरंतर चलता रहेगा

आने वाले दिनों में इंसान की लाशों पे
बसाया जायेगा घर
काट दिए जायेंगे वो पर,
जो दूसरों की उड़ान के रास्ते में आएंगे

आने वाले दिनों में मिट जायेगा
प्रेम का नाम-ओ-निशान
क्योंकि अभिव्यक्ति में कोई वक़्त नहीं गंवाएगा

आने वाले दिनों में बंजर हो जायेगा
आत्मीयता का भाव
कोई किसी से दोस्ती नहीं निभाएगा

आने वाले दिनों में नहीं होगा
कोई प्रेमविवाह
क्योंकि अब प्रेम होगा
प्राथमिकता के अनुसार
बताओ अब कौन किसी के लिये
जान की बाज़ी लगाएगा

क्योंकि आने वाले दिनों में
किया जायेगा प्रेम
पर जताया नहीं जायेगा

समवेदना, वेदना या फिर परपीड़ा को
समझने की क्षमताओं का
हो जायेगा अपघटन
घिसी पिटी परम्पराएं अभी भी रहेंगी
इंसान से ऊपर

आने वाले समय में इतिहास की किताबों में
लिखने के लिये कुछ नहीं रह जायेगा
क्योंकि हर व्यक्ति ख़ुद को महान समझेगा
दूसरों की शौर्य गाथाएं कौन गायेगा

क्योंकि आने वाले दिनों में
किया जायेगा वादा
पर निभाया नहीं जायेगा!

©शालिनी उपाध्याय