‘Aankhon Ki Dhundh Mein’, Hindi Kavita by Bhuvaneshwar
आँखों की धुँध में उड़ती-सी
अफ़वाह का एक अजब मज़ाक है
यह पिघलते हुए दिल और
नमाई हुई रोटी का
हीरा तो खान में एक
प्यारा-सा फसाना है
किसी पत्थरदिल और
नम आँखोंवाली रोटी का
गरीबी के पछोड़ में
ग़म के दानों की रुत है
सब्र का बँधा हुआ मुँह
खुल जाएगा कल के अख़बारों में
बस और कुछ नहीं…
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