आँखों की धुंध में उड़ती-सी
अफवाह का एक अजब मजाक है
यह पिघलते हुए दिल और
नमाई हुई रोटी का
हीरा तो खान में एक
प्यारा-सा फसाना है
किसी पत्थरदिल और
नम आँखोंवाली रोटी का
गरीबी के पछोड़ में
गम के दानों की रुत है
सब्र का बँधा हुआ मुँह
खुल जाएगा कल के अखबारों में
बस और कुछ नहीं…

भुवनेश्वर
भुवनेश्वर हिंदी के प्रसिद्ध एकांकीकार, लेखक एवं कवि थे। भुवनेश्वर साहित्य जगत का ऐसा नाम है, जिसने अपने छोटे से जीवन काल में लीक से अलग किस्म का साहित्य सृजन किया। भुवनेश्वर ने मध्य वर्ग की विडंबनाओं को कटु सत्य के प्रतीरूप में उकेरा। उन्हें आधुनिक एकांकियों के जनक होने का गौरव भी हासिल है। एकांकी, कहानी, कविता, समीक्षा जैसी कई विधाओं में भुवनेश्वर ने साहित्य को नए तेवर वाली रचनाएं दीं। एक ऐसा साहित्यकार जिसने अपनी रचनाओं से आधुनिक संवेदनाओं की नई परिपाटी विकसित की। प्रेमचंद जैसे साहित्यकार ने उनको भविष्य का रचनाकार माना था।