आपसे एक बात ज़ाहिर है,
ज़िन्दगी आपकी मुसाफ़िर है।
रखता है आपसे वही रंजिश,
कहता जो आपको बिरादिर है।
तुम सँभल कर चलो रक़ीबों से,
दूसरा नाम उनका शातिर है।
कौन उसका करे भरोसा अब,
वो यहाँ का नहीं, मुहाज़िर है।
जिसके हाथों में साँचे ढल जाएं,
वो हुनरमंद ही तो क़ादिर है।
छोड़ दो तुम सुधीर की बातें,
वो तो हर एक फ़न में माहिर है।