समय नहीं यह करुण-कन्द्रन का
उठकर तुम प्रतिकार करो,
हे भारत के वीर जवानों
आतंक पर प्रहार करो।

दे रहा संरक्षण जो
इन आतंकी काहिरों को,
जा, घुस घर में इनके तुम –
इक-इक का चुन संहार करो।

बाज नहीं ये आएंगे
हमारी खामोश दम साधों से,
इनकी भाषा में ही इनपर
अब तुम अभ्युद् वार करो।

रक्त रंजीत पड़ा है आँचल
माँ भारती का शहीदों से
शौर्य, पराक्रम औ निर्भयता से
अर्पण इसे मुंड-हार करो।

सुशान्त साईं सुन्दरम
Writer, Poet, Columnist, Social Activist