अच्छी कविता
अच्छा आदमी लिखता है
अच्छा आदमी कथित ऊँची जात में पैदा होता है
ऊँची जात का आदमी
ऊँचा सोचता है
हिमालय की एवरेस्ट चोटी की बर्फ़ के बारे में
या नासा की
चाँद पर हुई नयी खोजों के बारे में
अच्छी कविता
कोई समाधान नहीं देती
निचली दुनियादार ज़िन्दगी का
अच्छी कविता
पुरस्कृत होने के लिए पैदा होती है
कोई असहमति-बिंदु
नहीं रखती
निर्णायकों, आलोचकों और सम्पादकों के बीच
अच्छी कविता
कथा के क़र्ज़ को महसूस नहीं करती
अच्छी कविता
देश-धर्म, जाति
लिंग के भेदाभेदों के पचड़े में नहीं पड़ती
अवाम से वाबस्ता नहीं और
निज़ाम से छेड़छाड़ नहीं करती
अच्छी कविता
बुरों को बुरा नहीं कहने देती
अच्छी कविता
अच्छा इंसान बनाने का ज़िम्मा नहीं लेती
अच्छे शब्दों से
अच्छे ख़यालों से
सजती है अच्छी कविता
अच्छी कविता
अनुभव और आत्मीय सबकी दरकार नहीं रखती
कवि के सचेतन
संकलन की परिणति होती है अच्छी कविता
अच्छी कविता
अच्छे सपने भी नहीं देती
अच्छे समय में साथ ज़रूर नहीं छोड़ती
अच्छी कविता की
अच्छाई पूर्वपरिभाषित होती है
अच्छी कविता
अच्छे दिनों में अच्छे जनों में
हमेशा मुस्तैदी और
मज़बूती से उपस्थित रहती है
पर बुरे वक़्त में
किसी के काम नहीं आती
अच्छी कविता।

श्यौराज सिंह बेचैन की कविता 'टैगोर'

Book by Sheoraj Singh Bechain:

श्यौराज सिंह बेचैन
जन्म : 5 जनवरी 1960, गाँव नदरोली, बदायूँ (उ.प्र.) शिक्षा: एम.ए., बी.एड. (हिन्दी), पीएच. डी., डी. लिट्. रचनाएँ: मेरा बचपन मेरे कन्धों पर (आत्मकथा); चमार की चाय, क्रौंच हूँ मैं, नयी फसल (कविता संग्रह); सामाजिक न्याय और दलित साहित्य, हिन्दी दलित पत्राकारिता पर पत्रकार अम्बेडकर का प्रभाव (शोध-प्रबन्ध).