‘Adhed Umr Ka Prem’, a poem by Sarika Pareek

अधेड़ उम्र की औरतों
का प्रेम
चमगादड़ के बिलों
की तरह
जालों और अंधेरों में
म्लान
पायरिया की गंध लिए
निराश्रय
रोड पर पड़ा
बीमार बूढ़ा कुत्ता
जो सेवा दे चुका,
अब यथोचित भर्त्सना
का अधिकारी बन
भौंक रहा,
आधी रात को
सिसक-सिसककर
तकियों के गिलाफ़ पर
चिंघाड़ने लगता,
रजोनिवृत्ति का प्रेम
इन मर्मभेदिनी को
क्या छोड़ देगा
किसी अपरिचित चौराहे पर?
बुझी हुई सिगरेट
सी इति होगी?
या …झुर्रियों को
स्टेरॉयड से
ढाँक बिखेरती रहेंगी
दो इंच वाली
प्लास्टिक स्माइल
जैसे ही कोई कहेगा
मैडम ‘Say Cheese, Please’।

यह भी पढ़ें:

अनुपमा झा की कविता ‘प्रेम और चालीस पार की औरतें’
निकी पुष्कर की कविता ‘गूँगे का गुड़’

Recommended Book:

सारिका पारीक
सारिका पारीक 'जूवि' मुम्बई से हैं और इनकी कविताएँ दैनिक अखबार 'युगपक्ष', युग प्रवर्तक, कई ऑनलाइन पोर्टल पत्रिकाएं, प्रतिष्ठित पत्रिका पाखी, सरस्वती सुमन, अंतरराष्ट्रीय पत्रिका सेतु, हॉलैंड की अमस्टेल गंगा में प्रकाशित हो चुकी हैं।