‘Adhed Umr Ka Prem’, a poem by Sarika Pareek
अधेड़ उम्र की औरतों
का प्रेम
चमगादड़ के बिलों
की तरह
जालों और अंधेरों में
म्लान
पायरिया की गंध लिए
निराश्रय
रोड पर पड़ा
बीमार बूढ़ा कुत्ता
जो सेवा दे चुका,
अब यथोचित भर्त्सना
का अधिकारी बन
भौंक रहा,
आधी रात को
सिसक-सिसककर
तकियों के गिलाफ़ पर
चिंघाड़ने लगता,
रजोनिवृत्ति का प्रेम
इन मर्मभेदिनी को
क्या छोड़ देगा
किसी अपरिचित चौराहे पर?
बुझी हुई सिगरेट
सी इति होगी?
या …झुर्रियों को
स्टेरॉयड से
ढाँक बिखेरती रहेंगी
दो इंच वाली
प्लास्टिक स्माइल
जैसे ही कोई कहेगा
मैडम ‘Say Cheese, Please’।
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