गंगा एक यहाँ बहती है, एक वहाँ आकाश में।
धरती की गंगा है निर्मल,
शर्बत से मीठा इसका जल,
हर प्यासे की प्यास बुझाती,
भारत का इतिहास सुनाती,
इसकी अच्छाई आयी थी गांधी और सुभाष में।
नभ की गंगा तारों वाली,
चाँदी रचे किनारों वाली,
रंगों भरी, फुहारों वाली,
चमकीली मँझधारों वाली,
हमें रात-भर नहलाती है ठण्डक भरे प्रकाश में।
गंगा एक यहाँ बहती है, एक वहाँ आकाश में।