सृष्टि का सबसे पहला सृजन है— प्रेम
पहाड़, नदी, झरने, फूल-पौधे
शब्द, भाव
सबको प्रेम ने जन्मा

कबीर की वाणी
तुलसी की चौपाई
भिखारी ठाकुर के व्यंजक में है प्रेम

समय की आहट में अनहद की तरह बजता
हवा की आवाजाही
घड़ी की सुई
रुई के फाहे और सूखे पत्तों में है प्रेम

इसीलिए प्रकृति और सभ्यता के संघर्ष में भी बचा रहा प्रेम
अब भी समय की क्रूरता को देख रहा
जब तक प्रेम है, तब तक उम्मीद है

पता नहीं किस माटी का बना है
इसकी भाषा सीधे दिल में उतरती है
वैचारिक जादूगरी से हैरानी से ज़्यादा दिल-दिमाग़ में हाहाकार पैदा करता है प्रेम

स्मृति इसकी शक्ति है
जो स्मृतिहीन हैं
वे क्या जानें प्रेम की शक्ति

प्रेम के दिमाग़ में बुद्धि की एक खूँटी है
उस खूँटी में एक पोटली टंगी है
उस पोटली में हैं अनगिनत क़िस्से
कल्प का गल्प
गल्प में सच

प्रेम एक ध्वनि है
इसमें माधुर्य है तो कोलाहल भी
पीछे छूट गई अच्छी चीज़ों को बचाने की बेचैनी और कई अकथ दर्द से आकुल है प्रेम

इसकी लड़ाई दुनिया में सत्ता के लिए चल रही तमाम लड़ाईयों से अलग है
वह सत्ता के लिए नहीं, सम्वेदना को बचाने के लिए लड़ रहा

वह सम्वेदनहीन और सम्वेदनशील दुनिया के बीच
एक पुल बनाना चाहता है
पृथ्वी का सबसे सुन्दर पुल

प्रेम कहता है
यह पुल बनना ज़रूरी है
यह काम अकेले नहीं होगा
सबको साथ आना होगा
समाज में अकेले आदमी की कोई जगह नहीं बची

साथ आइए पर भीड़ मत बनिए
क्या शहर, क्या गाँव, क्या साहित्य
हर तरफ़ भीड़ है
विवेकहीन भीड़

विचारों का अपराधीकरण नये ज़माने का नया शग़ल है

अपने बीच मौजूद वैचारिक भिन्नताओं के साथ अब भी अगर हम सहज नहीं हुए तो मुर्दों के देश में तब्दील हो जाएँगे

साथ में होना प्रेम है
प्रतिरोध झेलकर सहज बने रहना प्रेम है

जीवन में जड़ होना नहीं
जड़ से जुड़े रहना प्रेम है

अपने अन्दर एक शिशु को पालना
साहस को सँवारना
चुप्पियों के विरुद्ध लिखते रहना प्रेम है

प्रेम है तो सब है
सब है तो प्रेम है…

अखिलेश्वर पांडेय
पत्रकारिता | जमशेदपुर (झारखंड) में निवास | पुस्तक : पानी उदास है (कविता संग्रह) - 2017 प्रकाशन: हंस, नया ज्ञानोदय, वागर्थ, पाखी, कथादेश, परिकथा, कादंबिनी, साक्षात्कार, इंद्रप्रस्थ भारती, हरिगंधा, गांव के लोग, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, प्रभात खबर आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं, पुस्तक समीक्षा, साक्षात्कार व आलेख प्रकाशित. कविता कोश, हिन्दी समय, शब्दांकन, स्त्रीकाल, हमरंग, बिजूका, लल्लनटॉप, बदलाव आदि वेबसाइट व ब्लॉग पर भी कविताएं व आलेख मौजूद. प्रसारण: आकाशवाणी जमशेदपुर, पटना और भोपाल से कविताएं व रेडियो वार्ता प्रसारित. फेलोशिप/पुरस्कार: कोल्हान (झारखंड) में तेजी से विलुप्त होती आदिम जनजाति सबर पर शोधपूर्ण लेखन के लिए एनएफआई का फेलोशिप और नेशनल मीडिया अवार्ड. ई-मेल : [email protected]