‘Anuvaad’, a poem by Amar Dalpura

प्रेम हमेशा मौन का अनुवाद करता है
जैसे आँख का अनुवाद आँख करती है
स्पर्श का अनुवाद स्पर्श करता है

एक आदिवासी लड़की
पानी, पेड़ और जंगल की भाषा में
स्पर्श, गंध और फूल का अनुवाद करती है

शब्दों के घिनोने चरित्र को
इस तरह घूरती है
जैसे उसकी भाषा की स्लेट
और भी काली हो गई है

दुनिया के लिखे गए शब्दों को
सैन्धव लिपि में चुनौती देती है
मुझे पढ़ो और इस तरह समझो
जैसे पीपल के नीचे बुद्ध
मौन की भाषा में
प्रेम का अनुवाद करता रहा…

यह भी पढ़ें:

कुशाग्र अद्वैत की कविता ‘अनुवाद और भाषा’
शिल्पी दिवाकर की कविता ‘अनुवाद तुम’

Recommended Book: