अक्सर चलती राह में
कोई मिल जाता है
निपट अकेला
हर रोज़,
चेहरे रोज़ बदलते हैं
लेकिन सबकी पहचान
एक जैसी होती है।
कुछ तो होता है उनमें
जो एक सा होता है,
शायद उनका अकेलापन
या उनका इंतजार।
सोचता हूँ कुछ देर बैठूँ
बेमतलब की बातें छेड़ूँ
और बतियाऊँ उनसे
कुछ,
शायद वे मुझसे कुछ कहना चाह रहे हों।
हर किसी ने कभी ना कभी
कहीं ना कहीं
किसी ना किसी से
हमेशा से कुछ कहना चाहा होगा,
किसी की सुनी होगी किसी ने
और कुछ अब भी इंतजार में हैं,
दुनियाभर की सड़कों पर
अलबेले से फिरते रहते हैं
कि कोई आएगा और
उनकी कही सुनेगा
बिना वजह जाने
उनके पास बैठकर!