यदि तुम बहुत ज़्यादा प्रायोगिक हो
तो नहीं कर सकते तुम प्रेम किसी से
नहीं रह सकते सम्वेदनशील बहुत देर तक
नहीं कर सकते तुम प्रार्थना में यकीन
नहीं रख सकते तुम विश्वास किसी पर
कुछ तो हो, जो न होकर भी हो।

एक आँख के पीछे एक आँख होती है
एक कान के पीछे भी एक कान
एक जीभ के नीचे भी एक जीभ
हो सकता है तो तुम न मानो
परन्तु
यदि तुम कुछ देर के लिए
प्रायोगिक होना त्याग दो
तो मैं समझा सकता हूँ
अप्रायोगिकता में जीवन
और ये भी कि
प्रायोगिकता तो केवल एक भ्रम है
ठीक उसी तरह का
जिस तरह का तुमने
अप्रायोगिक को मान रखा है।

राहुल बोयल
जन्म दिनांक- 23.06.1985; जन्म स्थान- जयपहाड़ी, जिला-झुन्झुनूं( राजस्थान) सम्प्रति- राजस्व विभाग में कार्यरत पुस्तक- समय की नदी पर पुल नहीं होता (कविता - संग्रह) नष्ट नहीं होगा प्रेम ( कविता - संग्रह) मैं चाबियों से नहीं खुलता (काव्य संग्रह) ज़र्रे-ज़र्रे की ख़्वाहिश (ग़ज़ल संग्रह) मोबाइल नम्बर- 7726060287, 7062601038 ई मेल पता- [email protected]