जब जन्म देती है एक माँ
कोई-कोई ही पूछता है-
“जच्चा-बच्चा ठीक हैं,
माँ का कितना ख़ून बहा,
क्या सर्जरी करनी पड़ी?”
वरना, कुशल-क्षेम
सिर्फ़ बच्चे की होती है,
जन्मदात्री की फ़िक्र
क्यूँ नहीं करते लोग
अन्यथा शल्य-चिकित्सा
झेले मरीज-सी?
लाज़मी है
नवजीवन का स्वागत,
होती ही ऐसी है कुछ
शिशु की मुस्कुराहट
अचरज यह
कि माँ की अनदेखी
और शिशु की मुस्कान के भक्तों में
सबसे चरम पर उन्मत्त, बावरी
स्वयं, माँ होती है!