अनुवाद: शिव किशोर तिवारी

बाबूराम सँपेरे, ओ!
कहाँ लगाए फेरे, ओ!
इधर ज़रा सा आओ आप
मुझे चाहिए दो ठो साँप।

साँप आँख से सूने हों
बेसींग- नाखूने हों।
ना सरकें ना लहराएँ
नहीं किसी को डस खाएँ।

फों-फों करें न मारें फन
दूध-भात का लें भोजन।
ऐसे साँप मिलें तो ला
डण्डा मार करूँ सीधा।

सुकुमार राय
सुकुमार राय (जन्म: 30 अक्तूबर, 1887, कोलकाता; मृत्यु- 10 सितम्बर, 1923) बांग्ला भाषा के प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं चित्रकार थे। ये बच्चों के लिए हास्य कविता एवं कहानियाँ लिखते थे। सुकुमार राय अपने समय के प्रमुख लेखक-पत्रकार एवं चित्रकार थे। सुकुमार राय गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के शिष्य थे। सुकुमार राय विश्व में भारतीय फ़िल्मों को नई पहचान दिलाने वाले भारत रत्न सम्मानित सत्यजित राय के पिताजी थे।