कविता बच्चा By इन्दु जैन - January 20, 2020 Share FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmailPinterestTumblr औरत के सिर पर गठरी है कमर पर बच्चा मर्द हाथ में बक्सा लटकाए है। बच्चा रो रहा है लगातार हाथ-पाँव पटक रहा बार-बार। औरत के समझाने मर्द के झुँझलाने के बावजूद वह पैर-पैर चलना चाहता है, और गठरी अपने सिर पर उठाना चाहता है। Book by Indu Jain: RELATED ARTICLESMORE FROM AUTHOR अनुवाद विनीता अग्रवाल की कविताएँ अनुवाद परवीन साकेत की कविताएँ कविता रूप कथाओं के चमकते नायक कहानी पीहू कविता छत और लड़कियाँ