1
बच्चे खेलते हैं
खेल-खेल में लड़ते हैं
मारते भी हैं
एक-दूसरे को
लेकिन मार नहीं डालते
बड़ों की तरह।
2
छोटे बच्चे
एक साथ खेलते हैं
क्योंकि उन्हें पता नहीं होते
लिंग के भेद
बड़ों की तरह,
जो आपस में ही नहीं
बच्चों तक में कर देते हैं
स्त्री-पुरुष के भेदभाव
और तोड़ देते हैं
उनके एक साथ खेलते समूह को
दो में।
3
बच्चों की दोस्ती में
दरार पैदा करने वाली
दूसरी अपराधी है भाषा
आख़िर क्या ज़रूरत थी
क्रियाओं-सहक्रियाओं को
लिंगसूचक बना देने की।
4
बड़ों को नहीं अधिकार
कालीन में खेलते
या मिट्टी में लोटते बच्चे में
कोई फ़र्क़ करने का
क्योंकि जब कोख में भेजे जा रहे थे बच्चे
तब उनको नहीं दिया गया था
अपनी पसंद की कोख चुनने का
कोई अधिकार।
5
बच्चे नकल करते हैं अक्सर
बच्चे जब कुछ देर
बच्चों संग आते हैं रहकर
तो प्यार से रखते हैं अपनी डाॅल को
जब रहकर आते हैं
ऐसे बड़ों के साथ
जिनमें अंश भर भी शेष नहीं बचपन
तो टीचर-स्टूडेंट के खेल में
निर्मम पिटाई करते हैं
उसी डाॅल की।
'पुरुष और स्त्री देह का वर्गीकरण मात्र ही नहीं'