ना नींद में था
ना कल्पना में
ना बेहोशी की हालत
पर जाने क्युँ
लगा कि वो सामने है
बेहद पास
कि मैं छू सकता था उसे
देख सकता था जी भर
शायद हो सकती थी बातें भी
लेकिन ठिठका रहा मैं
बेजान-सा
जैसे देख रहा था कोई सपना..
ना नींद में था
ना कल्पना में
ना बेहोशी की हालत
पर जाने क्युँ
लगा कि वो सामने है
बेहद पास
कि मैं छू सकता था उसे
देख सकता था जी भर
शायद हो सकती थी बातें भी
लेकिन ठिठका रहा मैं
बेजान-सा
जैसे देख रहा था कोई सपना..