पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं—
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लायी चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगन्ध भेजती है
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है—
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
दिनकर की कविता 'तुम क्यों लिखते हो'