नींद में थी तूम
जब कार में आजू-बाजू बैठे थे हम
तुम्हारा सर मेरे कंधों पर क़ाबिज़ था
मन हुआ मेरा
कि क़ाबिज़ कर लूं तुम्हारी कमर
रखकर हाथ अपना

सड़क पर एक स्पीड ब्रेकर आया
कार उछली
और साथ ही उछला सिर तुम्हारा
वापिस रखा उसे कंधों पर
और हाथ सरका लिया तुम्हारी कमर पर
खींच लिया तुम्हें अपनी तरफ़
तुम्हारे बाल तुम्हारे चेहरे से हटाए तो
देख रहा हूँ तुम्हारे दोनों होंठों के बीच फ़ासले हैं
अब मन हो रहा है कि
भर दूँ इन फ़ासलों को अपने होठों से
जब अगला स्पीड ब्रेकर आए तो..

आयुष मौर्य
बस इतना ही कहना "कुछ नहीं, कुछ भी नहीं "