‘Bina Shart Pyar Nahi Hota’, a poem by Rag Ranjan

बिना शर्त प्यार नहीं होता
कि प्यार स्वयं एक शर्त है
और हर तरह के
प्यार में शर्तें होती हैं कई

साथ की शर्त
सच्चाई की शर्त
समझने की, कभी सिर्फ़ सुनने की,
कुछ ना कहने की शर्त

लरज़ती ज़ुबान के संकोच को सुनकर
एक-दूसरे की बात को थामने की,
आँखों से नमी को थाहने की शर्त

शर्त कठिन वक़्त में निभाने की
और चाहकर भी ना भूल पाने की,
ख़ुद को दूसरे में घुलते देकर
दूसरे को पूरा होता देखने की शर्त

बिना शर्त प्यार की बात
सिर्फ़ एक राजनीति है
जो बिना शर्त प्यार की बातें करते हैं
दरअसल प्यार से डरते हैं।