घर बैठे-बैठे बोरियत होने लगी तो जैक स्टेशन के लिए निकल पड़ा। इस शहर में ‘इतनी सुबह कहाँ जा रहे हो’ पूछने वाला कोई नहीं था। लेकिन मन तो हो रहा था कि किसी को बताए कि मैं शहर से दूर बर्थ डे मनाने जा रहा हूँ।
फ़ार्महाउस तक ट्रेन से पहुँचने के लिए कम-से-कम दो घण्टे लगेंगे। अगर सुबह वाली ट्रेन मिल जाए तो फ़ार्महाउस पहुँचकर काफ़ी सारा समय हाथ में रहेगा। सुबह वाली ट्रेन अगर छूटी तो अगली के लिए दो-तीन घण्टे इंतज़ार करना पड़ेगा। यह सोचकर जैक समय से एक घण्टा पहले ही स्टेशन की ओर निकल पड़ा।
उधर से वह भी आ रही थी। यह प्लान वुल्फ़ का ही था कि जैक का बर्थ डे मनाया जाए। हाल ही में जब वुल्फ़ जैक को लंदन में मनाए गए अपने बर्थडे के बारे में बता रही थी, तो जैक ने हल्के से मुस्कुराकर कहा था कि उसने कभी अपना बर्थडे नहीं मनाया है। ये सुनते ही वुल्फ़ ताज्जुब वाली हँसी में उसकी बात हवा में उड़ा ही रही थी कि उसे महसूस हुआ कि जैक मज़ाक नहीं कर रहा है।
“इज़ यॉर फॅमिली पार्ट ऑफ़ सम कल्ट?” उसने ये सवाल जैक को चिढ़ाने के लिए पूछा।
“ओ शट अप! यू नो वी डोंट बिलीव इन एनी सच थिंग!”
“वेल, इट्स जस्ट दैट आए हैव नॉट हर्ड ऑफ़ एनीवन येट टू सेलिब्रेट देयर बर्थ डे!”
“आए डोंट सी व्हॉट डिफरेंस इट मेक्स, अदर दैन मेकिंग वन ए नार्सिसिस्ट।” जैक की तरफ़ से यह वुल्फ़ को उसकी कल्ट वाली बात का जवाब था।
“वेल, थॉट आए वुड मेक यू एक्सपीरियंस वॉट इट्स लाइक टु बी ए नार्सिसिस्ट। बट लुकिंग एट यॉर ऐटिटूड, मे बी नॉट!”
जब उसे लगा कि उसने जैक से बदला ले लिया, तो उसने मुस्कुराते हुए जैक को कहा किइस साल हम तुम्हारा बर्थडे मनाएँगे।
पहले पहल तो जैक ने बात हवा में उड़ा दी, लेकिन बर्थडे का दिन आते-आते जैक और वुल्फ़ के बीच नज़दीकियाँ बढ़ गई थीं। जैक वुल्फ़ की ‘हाय-फाय’ ज़िंदगी से अब उतना नहीं चिढ़ता था। उसमें आराम की जगह पाकर, एडजस्ट हो चुका था। उसे इतनी एहमियत पहले किसी ने नहीं दी थी। वुल्फ़ सच में उसका बर्थ डे मानाने का सारा इंतज़ाम कर चुकी थी। शहर से दूर एक पूरा दिन वुल्फ़ के साथ! वो दो पल कहीं बैठ ख़ुद पर जताए जा रहे प्यार पर ख़ुश होना चाहता था।
जैक स्टेशन पहुँचकर एक बेंच पर बैठ गया। ट्रेन के आने में अभी वक़्त था। वह गुज़रती हुई ट्रेनों को देख हमेशा की तरह ताज्जुब करता कि सुबह-सुबह इतनी भीड़ कैसे? उसे कभी इस बात का ताज्जुब नहीं होता कि वह सालों से इस भीड़ पर उठाए गए सवाल का कभी जवाब नहीं ढूँढता।
तय यह हुआ था कि वुल्फ़ अपनी ओर से ट्रेन पकड़ते ही जैक को इत्तला करेगी, और जैक अपनी ओर से स्टेशन समय पर पहुँचकर उसी ट्रेन में वुल्फ़ के साथ हो लेगा।
वक़्त काटने के लिए जैक ने बैग से किताब निकाली। कुछ पन्ने पढ़ने के बाद जैक ने अचानक से किताब बन्द कर दी। किताब को चुनने के लिए काफ़ी वक़्त गुज़ारने के बावजूद उसे अब भी ऐसा लग रहा था कि आज के लिए यह किताब ठीक नहीं। उसका मन अब दूसरी किताब को न लाने के पछतावे पर कुढ़ रहा था। एक साँस छोड़ वह किताब के पन्ने पलटने लगा। कुछ देर बाद किताब बन्द कर वह वुल्फ़ के साथ आने वाले दिन के बारे में सोचने लगा। जैक सुबह से कई बार आने वाले दिन को ख़्यालों में घटित कर चुका था। अपना ध्यान भटकाने के लिए जैक फिर पन्ने पलटने लगा। काटने को इतना सारा वक़्त और पढ़ने को एक पन्ना नहीं।
इंडिकेटर की तरफ़ नज़र घुमायी तो जैक को ख़्याल आया कि ट्रेन वहाँ से छूट चुकी होगी, लेकिन वुल्फ़ का अब भी कोई जवाब नहीं आया है। कुछ देर इंतज़ार करने के बाद जैक ने वुल्फ़ को फ़ोन लगाया, लेकिन उस ओर से कोई जवाब नहीं। चिंता में जैक से बैठा नहीं गया तो वह किताब को बन्द करने से पहले उसका एक पन्ना मोड़कर, स्टेशन के छोर की तरफ़ सिगरेट फूँकने चल दिया। एक कश लेता, इंडिकेटर की तरफ देखता, फिर एक कश लेता, इंडिकेटर की तरफ देखता… ट्रेन बस आ ही रही होगी।
दूसरी सिगरेट जलाकर जैक सोचने लगा कि तय की गई बात के मुताबिक़ ट्रेन पकड़े, या फिर वुल्फ़ के फ़ोन का इंतज़ार करे। किसी कारणवश वुल्फ़ ने अगर ट्रेन नहीं ली होगी तो फ़ार्महाउस कहाँ और कैसे पहुँचना है यह तक उसे पता नहीं। ट्रेन छोड़ दे और बाद में पता चले कि वुल्फ़ ट्रेन में ही थी, तब? उसे दूसरी सम्भावना से ज़्यादा डर लग रहा था।
जैक अपना ध्यान भटकाने के लिए कुछ ढूँढ ही रहा था कि उसके सामने एक एक्सप्रेस ट्रेन रुकी। जंक्शन आने से पहले ट्रेन को चेन खींचकर रोकना आम बात थी। लोग पटरी पर उतरते और अपनी राह चल देते। उसने फिर ताज्जुब से लोगों की भीड़ को देख अपने अहम सवाल को दोहराया। आख़िर लोग कैसे…?
जैक की नज़र एक बूढ़े कपल पर थी। दोनों अपनी ही तेज़ी से पटरी पार कर रहे थे। जैक रोज़ होने वाला यह तमाशा देख ही रहा था कि उसने इंडिकेटर की तरफ नज़र दौड़ायी… ट्रेन बस आ ही रही होगी… नज़र फिर बूढ़े कपल पर दौड़ायी तो देखा कि दोनों हाथों में बैग लिए बूढ़ा पटरी पार कर बुढ़िया के इंतज़ार में खड़ा है, और बुढ़िया दोनों हाथों में बैग लिए पिछला पैर पटरी के पार रख ही रही थी कि उसके पीछे से तेज़ रफ़्तार में एक ट्रेन भक्क से निकल गई। ट्रेन के हॉर्न ने जैक को सुन्न कर दिया। जैक के सामने से ट्रेन तेज़ रफ़्तार में गुज़र रही थी, लेकिन उसके ज़ेहन में बुढ़िया का पटरी पार करता पिछला पैर और उसी वक़्त उसके पीछे से गुज़रती ट्रेन का मंज़र घूमने लगा। सवाल- क्या उन्होंने भी उस ट्रेन को आते नहीं देखा?
देखने पर लगा कि बुढ़िया को कुछ नहीं हुआ। लेकिन कुछ सेकण्ड बाद वह ज़मीन पर गिर पड़ी। ट्रेन जैसे सिर के पीछे चोट कर फ़रार हो गई। जैक बुढ़िया की ओर दौड़ा। बुढ़िया का ख़ून रोकने के लिए बुड्ढा अपना हाथ चोट पर दबाए हुए था। जैक के पास पहने हुए नए कपड़ों के अलावा ऐसा कुछ नहीं था जिसे चोट पर बांधा जा सके। जैक कुछ देर तो बस दोनों बेबसों को बेबस की तरह देखता रहा। अब कुछ लोग भी जमा हो चुके थे। जैक को लगा लोग मदद करेंगे। लेकिन जब कोई आगे नहीं बढ़ा तो जैक मदद के लिए आगे आया। उसे इस बात की खीझ हो रही थी कि उसने मदद के लिए इतनी देर क्यों लगा दी। वह मदद के लिए आगे तो आ गया, लेकिन जब सूझा नहीं कि किया क्या जा सकता है, उसने उस माहौल के मुताबिक़ सबसे सरल बात कही। उसने बुड्ढे से कहा कि इनको उठाकर साइड में ले आते हैं। जैक ने बुढ़िया के हाथ और बूढ़े ने उसके पैर पकड़े और उसे पटरी से दूर ले गए।
चूंकि बुढ़िया के ऊपरी हिस्से को जैक ने उठा रखा था, उसके सिर से गिरते ख़ून ने उसके जूतों को रंग दिया था। जैक ने जूतों पर नज़र डालते ही उन्हें पीछे खींचने की कोशिश की और साथ ही अपने शरीर को भी पीछे खींचा। इससे उसका ही नहीं बल्कि बूढ़े का भी संतुलन बिगड़ा और बुढ़िया का शरीर थोड़ा डगमगाया। तुरंत ही बुड्ढे की नज़र जैक पर गई। जैक की नज़रें उसकी सवालिया नज़रों से पहले ही नीचे हो गईं।
वह जानता था कि उसने अपने नए कपड़े बचाने के लिए नहीं बल्कि स्वाभाविक तौर पर अपने आप को पीछे खींचा। ऐसा मेरी जगह कोई और होता तो आदतन वह भी अपने आप को पीछे खींच लेता- जैक ने अपने आपको को सांत्वना दी। लेकिन जैक यह मानने को तैयार नहीं था कि उसके जूतों पर लगे दाग़ से वह दुखी था। ऐसी स्थिति में होने के बावजूद उसका अपना ही अंतर्द्वंद्व चल रहा है इसका उसे ताज्जुब नहीं हुआ।
जैक और बुड्ढे में अभी कोई बातचीत नहीं हुई थी। आख़िर जैक उनसे पूछता भी क्या? कि आप क्यों पटरी पार कर रहे थे? क्या आपने ट्रैन को आते नहीं देखा? आप कहाँ के रहने वाले हैं? जंक्शन पहुँचने तक इंतज़ार कर लेते तो क्या जाता? ऐसा में कुछ बोलने या पूछने से अच्छा है कुछ करना।
जैक ने 100 नम्बर पर फ़ोन लगाया। इतने में जैक ने अपनी ट्रेन को आते देखा। जैक का 100 नम्बर को फ़ोन नहीं लगा। उसके पास ना ही लोकल पुलिस स्टेशन का नम्बर था और ना ही लोकल अस्पताल का। ट्रेनों में लगे हेल्पलाइन के नम्बर भी याद नहीं आ रहे थे। जैक स्टेशन की ओर दौड़ा कि कोई पुलिस वाला मिल जाए। प्लेटफ़ॉर्म के उस पार स्टेशन मास्टर का ऑफिस है। जैक स्टेशन मास्टर के ऑफिस की तरफ दौड़ा। जैक ने प्लेटफ़ॉर्म की ओर नज़र दौड़ायी तो देखा कि ट्रेन प्रवेश कर ही रही थी। जैक एक तरफ अपना प्लेटफ़ॉर्म छोड़ स्टेशन मास्टर के ऑफिस की तरफ बढ़ रहा था तो दूसरी तरफ उसकी ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पर आ रही थी। वह अभी भी तय नहीं कर पाया था कि ट्रेन पकड़े या… अब भी उसके मन में दूसरी सम्भावना हावी थी।
जैक स्टेशन मास्टर के ऑफिस की ओर ले जाने वाली सीढ़ियों के पास खड़ा होकर ट्रेन को देखने लगा। अंतर्द्वंद्व इतना तीव्र हो चुका था कि उसमें अब कोई द्वंद्व नहीं बचा था। वह महज़ यही उम्मीद कर रहा था कि वुल्फ़ ट्रेन में न हो। ऐसे में उसे ट्रेन छोड़नी पड़ेगी और उसकी दुविधा का हल अपने आप निकल आएगा। दूसरे की मदद के नाम पर अपना मोक्ष। तभी अचानक से उसे ट्रेन के दरवाज़े पर खड़ी वुल्फ़ नज़र आई। जैक को देखते ही वुल्फ़ मुस्कुरा दी। जैक भी अनायास मुस्कुराया और वुल्फ़ की ओर दौड़ पड़ा। जैक के ट्रेन में चढ़ते ही वुल्फ़ ने उसे गले लगाया और हाथ पकड़कर सीट पर बिठा लिया।
“आए ऍम सो सॉरी!”
“आए न्यू यु वुड कम। वाय डीड यु नॉट मैसेज?”
“माय फ़ोन डाइड!”
“ओके….@!#&!!!”
दिखाने के लिए तो जैक खिड़की पर सिर टिका नींद ले रहा था, लेकिन मन ही मन एक ही बात दोहराए जा रहा था- ऐसा मेरी जगह कोई और होता तो… इस अंतर्द्वंद्व से ऊब कर वह वुल्फ़ की ओर मुड़ा, और कहा, “लेट मी शो समथिंग वेरी इंटरेस्टिंग आए रेड व्हाइल वेटिंग फॉर द ट्रेन। लेट मी रीड इट आउट टू यु!”
“बट यु, हु मेक अ मॉक ऑफ़ ह्यूमन लाइफ, डोंट यु प्लेस एनी वैल्यू अपॉन इट व्हॉटएवर?”
“वैल्यू? व्हॉट वैल्यू? व्हॉट काइंड ऑफ़ वैल्यू? हाउ डू यु मेज़र इट? हु वैल्यूज़ इट?”
“वैल्यू ऑफ़ लाइफ? हाउ कुड आए आंसर द क्वेस्चन ऑन द स्पर ऑफ द मोमेंट? द सेक्रेडनैस ऑफ लाइफ आए हेड एक्सेप्टेड एज़ एक्सिओमेटिक। दैट इट वॉज़ इंट्रिन्सिक्ली वैल्युएबलवॉज़ अ ट्रूइज़्म आए हैड नेवर क्वेस्चण्ड। बट वेन ही चैलेंज्ड द ट्रूइज़्म आए वॉस स्पीचलेस।”
“आए हेल्ड दैट लाइफ वॉज़ अ फरमेंट, अ यीष्टी समथिंग विच डीवोर्ड लाइफ दैट इट माइट लिव, एंड दैट लिविंग वॉज़ मीयरली सक्सेसफुल पिग्गिशनेस। वाय, इफ देर इस एनिथिंग इन सप्लाई एंड डिमांड, लाइफ इस द चीपेस्ट थिंग इन द वर्ल्ड। देर इस ओनली सो मच वॉटर, सो मच अर्थ, सो मच एयर; बट लाइफ दैट इस डिमांडिंग टू बी बॉर्न इस लिमिटलेस।नेचर इस स्पेण्डथ्रिफ्ट।”
– काफ़िर
मई 2019, बम्बई