निर्माता निर्माण से दूर हैं
फिर भी (या इसलिए ही) पूजे जा रहे हैं

संरक्षण करने वाले
संरक्षित कर रहे हैं
केवल वर्ग विशेष को

और कुछ
त्रिपुंड्र लगा
शिवभक्त बन
सत्यानाश कर रहे हैं
उन सारी चीजों का
उस हद तक
जहाँ से नामुमकिन होगा
उनको दोबारा
वापस ला पाना..

आयुष मौर्य
बस इतना ही कहना "कुछ नहीं, कुछ भी नहीं "