ऐसी बारिश पहले कभी नहीं हुई थी। बादलों की गड़गड़ाहट से लग रहा था जैसे धरती जलमग्न हो जाएगी। बारिश बहुत भयानक और तेज थी। रमेश और सुमित बचपन के दो गहरे दोस्त शराब पीते हुए बारिश की बूंदों का आनन्द ले रहे थे। पूरा आँगन पानी से भर गया था और साथ ही दोनों का शरीर भी शराब से भर चुका था। भरे हुए पानी में बूंदों के गिरने से बहुत सारे बुलबुले बनते और फूटते जा रहे थे।

बुलबुलों को देखकर रमेश ने कहा- “यार सुमित कुछ तो बात है इन बुलबुलों में। जीवन का सार है इन बुलबुलों में। कबीर ने ठीक ही कहा है कि हमारा जीवन एक बुलबुले के समान ही है। एक दिन हम सबको बुलबुलों की तरह फूटकर पानी रूपी मिट्टी में मिल जाना है।”

सुमित: (पैग लगाते हुए) “बात तो तेरी ठीक है लेकिन विज्ञान के अनुसार बुलबुले हवा से बनते हैं और हवा के कारण ही फूट जाते हैं। हवा का दबाव नहीं होगा तो कोई बुलबुला कभी नहीं फूटेगा।”

रमेश: (पैग गटक कर) “अबे पगलेट! ऐसा थोड़ी होता है कि कोई पदार्थ कभी नश्वर नहीं होगा। प्रकृति से बड़ा कोई सत्य नहीं है और सत्य से बड़ी कोई सत्ता नहीं है।”

सुमित: (पैग लगाते हुए) “कैसी बाबाओं वाली बात कर रहा है, विज्ञान से बड़ा कुछ नहीं है, तू मुझे प्रकृति की सत्ता यानि सच की शक्ति साबित कर के दिखा।”

रमेश: (अंतिम पैग लगाते हुए) “अबे पगलेट सुन! अगर तू मुझे अभी जान से भी मार देगा ना, तो ये बुलबुले तुझे सजा देंगे।”

नशे में धुत्त सुमित: (अंतिम पैग गटकते हुए) “अच्छा ऐसी ही बात है तो ले..”

…सुमित ने उठकर रमेश की गर्दन पकड़ी और  उसका मुँह आँगन के भरे हुए पानी में डुबो दिया। जिसके कारण रमेश ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।

रमेश की मृत्यु को गाँव में सबने दुर्घटना मान लिया कि अधिक शराब पीकर पानी में गिर जाने से वह मरा है।

इस घटना के लगभग चार साल बाद एक बार फिर वैसी ही भयानक और तेज बारिश हो रही थी। आज फिर सुमित ने काफी मात्रा में शराब चढ़ा रखी थी। तभी उसकी नज़र पानी में बन रहे बुलबुलों पर पड़ी और उसने पूरे जोर से ठहाका लगाया। वह जोर-जोर से हँसने लगा। उसकी हँसी की आवाज सुनकर उसकी पत्नी उसके पास आई और बोली, “क्या मिल गया ऐसा जो पागलों की तरह हँस रहे हो।”

सुमित ने लड़खड़ाती जुबान से हँसते हुए कहा: “स्साला मेरा एक दोस्त था। रमेश। उसने कहा था कि उसकी मौत की सजा मुझे ये बुलबुले देंगें। ये पानी के बुलबुले। कहाँ मिली मुझे सजा? आज तक किसी को भी ये नहीं पता चल पाया कि मैंने उसको मारा था। कैसे बताएंगे ये बुलबुले।”

ये सुनकर सुमित की पत्नी का मुँह सफेद पड़ गया। पहले उसे कुछ समझ नहीं आया, फिर समझते और सम्भलते हुए उसने पुलिस को फोन लगा दिया।