उद्धरण | Quotes
कुछ पंक्तियाँ – ‘जंगल के दावेदार’ (महाश्वेता देवी)
उलगुलान की आग में जंगल नहीं जलता; आदमी का रक्त और हृदय जलता है। अचेत होते-होते भी अपने खून का रंग देखकर बिरसा मुग्ध हो गया था। खून का रंग इतना लाल होता है! सबके Read more…
उलगुलान की आग में जंगल नहीं जलता; आदमी का रक्त और हृदय जलता है। अचेत होते-होते भी अपने खून का रंग देखकर बिरसा मुग्ध हो गया था। खून का रंग इतना लाल होता है! सबके Read more…
मैं सिर्फ और सिर्फ एक चीज हूँ और वह है जोकर। यह मुझे राजनीतिज्ञों की तुलना में कहीं ऊँचे आसन पर स्थापित करता है। मैं ईश्वर के साथ मजे में हूँ, मेरा टकराव इंसानों के Read more…
“जो नहीं है, उसे खोज लेना शोधकर्ता का काम है। काम जिस तरह होना चाहिए, उस तरह न होने देना विशेषज्ञ का काम है। जिस बीमारी से आदमी मर रहा है, उससे उसे न मरने Read more…
“उत्कंठा की चरम सीमा ही निराशा है।” “रूपये के मामले में पुरूष महिलाओं के सामने कुछ नहीं कह सकता। क्या वह कह सकता है, इस वक्त मेरे पास रूपये नहीं हैं। वह मर जाएगा, पर Read more…
“हम न पाप करते हैं और न पुण्य करते हैं, हम केवल वह करते हैं जो हमें करना पड़ता है।” “प्रत्येक मनुष्य सुख चाहता है। केवल व्यक्तियों के सुख के केन्द्र भिन्न होते हैं।” “कुछ-कुछ Read more…