बस देखा और फिर भूल गए
जब हुस्न निगाहों में आया
मन-सागर में तूफ़ान उठा
तूफ़ान को चंचल देख डरी आकाश की गँगा दूध-भरी
और चाँद छुपा तारे सोए तूफ़ान मिटा हर बात गई
दिल भूल गया पहली पूजा मन मंदिर की मूरत टूटी
दिन लाया बातें अनजानी फिर दिन भी नया और रात नई
पीतम भी नई प्रेमी भी नया सुख सेज नई हर बात नई
इक पल को आई निगाहों में झिलमिल करती पहली
सुंदरता और फिर भूल गए
मत जानो हमें तुम हरजाई
हरजाई क्यूँ कैसे कैसे
क्या दाद जो इक लम्हे की हो वो दाद नहीं कहलाएगी
जो बात हो दिल की आँखों की
तुम उस को हवस क्यूँ कहते हो
जितनी भी जहाँ हो जल्वागरी उस से दिल को गरमाने दो
जब तक है ज़मीं
जब तक है ज़माँ
ये हुस्न ओ नुमाइश जारी है
इस एक झलक को छिछलती नज़र से देख के जी भर लेने दो
हम इस दुनिया के मुसाफ़िर हैं
और क़ाफ़िला है हर आन रवाँ
हर बस्ती हर जंगल सहरा और रूप मनोहर पर्बत का
इक लम्हा मन को लुभाएगा इक लम्हा नज़र में आएगा
हर मंज़र हर इंसाँ की दया और मीठा जादू औरत का
इक पल को हमारे बस में है पल बीता सब मिट जाएगा
इस एक झलक को छिछलती नज़र से देख के जी भर लेने दो
तुम इस को हवस क्यूँ कहते हो
किया दाद जो इक लम्हे की हो वो दाद नहीं कहलाएगी
है चाँद फ़लक पर इक लम्हा
और इक लम्हा ये सितारे हैं
और उम्र का अर्सा भी सोचो इक लम्हा है..