तुम नद्दी पर जा कर देखो
जब नद्दी में नहाए चाँद
कैसी लगाई डुबकी उस ने
डर है डूब न जाए चाँद
किरनों की इक सीढ़ी ले कर
छम-छम उतरा जाए चाँद
जब तुम उसे पकड़ने जाओ
पानी में छुप जाए चाँद
अब पानी में चुप बैठा है
क्या-क्या रूप दिखाए चाँद
चाहे जिधर को जाओ ‘अफ़सर’
साथ हमारे जाए चाँद!