तुम जो बनती मौसम चाँदनी रात में,
ज्वार उठते हैं मुझमें चाँदनी रात में।
साँस के बहाने कलियाँ भरती हैं गंध,
जब तुम गुज़रती चाँदनी रात में।
दिल में लौ, धड़कन में लय, तेरा बोलना,
हर शब्द महाकाव्य, चाँदनी रात में।
मेरी दोस्त ये साथ, चिर प्यार निर्मल,
ज्यों बहती नदी चाँदनी रात में।
क्या करेंगे उम्र चार दिन की ले?
एक उम्र ही बहुत चाँदनी रात में।
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