‘Chhipne Ki Jagah’, Hindi Kavita by Joshnaa Banerjee Adwanii

छिपने की सभी जगहों
में से कुछ सुरक्षित जगह हैं
रात की आख़िरी कौंध
चुप की ज़ुबाँ
राख हुई हसरत से उठता धुआँ
लिखने से बची हुई आधी कविता
प्रेम की धज्जियाँ
लिजलिजे रहस्य
किसी हठ का यक़ीं
मन से निकली एक निर्लज्ज टहनी
कभी ना पूरी होने वाली कल्पना
छिपा जा सकता है यहाँ

पर अहमक लोगों
कभी मत छिपना
किसी महफ़ूज़ जगह में,
किसी की खींची हुई साँस में
या मुँदी हुई आँखों में
ये तुम्हारे लिये एक नया कार्यक्षेत्र होगा
जो तुम्हें व्यापारी बना देगा
और सभ्यतावश तुम बेईमानी सीख जाओगे
और जब-जब किसी को कहोगे ख़ूबसूरत
तो उसके अलावा करोड़ों का दिल तोड़ोगे!

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Book by Joshnaa Banerjee Adwanii:

जोशना बैनर्जी आडवानी
जोशना इन्टर कॉलेज में प्राचार्या हैं और कत्थक व भरतनाट्यम में प्रभाकर कर चुकी हैं। जोशना को कविताएँ लिखना बेहद पसंद है और कविताएँ लिखते वक़्त वे अपने माता-पिता को बहुत याद करती हैं, जो अब दुनिया में नहीं हैं।