गोटे वाली
लाल ओढ़नी
उस पर
चोली-घागरा
उसी से मैचिंग करने वाला
छोटा सा इक नागरा
छोटी सी!
ये शॉपिंग थी
या!
कोई जादू-टोना
लम्बा चौड़ा शहर अचानक
बनकर
एक खिलौना
इतिहासों का जाल तोड़ के
दाढ़ी
पगड़ी
ऊँट छोड़ के,
‘अलिफ़’ से
अम्माँ
‘बे’ से
बाबा
बैठा बाज रहा था
पाँच साल की बच्ची
बनकर जयपुर
नाच रहा था…