चिड़िया रे!
चिड़िया होने का अर्थ फाड़ दो,
मछली रे! मछली होने का अर्थ काट दो,
लड़की चिन्दी-चिन्दी कर दो
लड़की होने के अर्थ को

बकुल के फूल, बकुल के फूल होने के अर्थ को
अपने से थोड़ा अलग करो,
और कमल के फूल की रूप छवियों में
नाभियों अपने लिए जगह माँगो

पृथ्वी के नीचे फैली जड़ों
पेड़ों के बिम्ब में अपने प्रति होने वाले
अन्याय के ख़िलाफ़ रख दो माँग-पत्र,
पत्तियों! उठो और कहो
कि फूल के बनाने में तुम भी शामिल हो

सभ्यताओं के तत्वों सब मिलकर
सभ्यताओं का अर्थ ही बदल डालो,
रागों में पूरबी राग
अपने लिए शास्त्रीय संगीत में जगह माँगो,
और फ़ुटनोटो, तुमसे मैं कहते-कहते थक गया
कि उठो और धीरे-धीरे पहुँच जाओ
लेखों के बीच में।

Book by Badrinarayan:

बद्रीनारायण
जन्म: 5 अक्टूबर 1965, भोजपुर, बिहार. कविता संग्रह: सच सुने कई दिन हुए, शब्दपदीयम, खुदाई में हिंसा. भारत भूषण पुरस्कार, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, शमशेर सम्मान, राष्ट्र कवि दिनकर पुरस्कार, स्पंदन सम्मान, केदार सम्मान