कोरोनावायरस
फैला रहा है अपने अदृश्य पाँव
पहुँच चुका है वह
दुनिया के कई कोनों में
ताइवान में भी कुछ मामले सामने आ चुके हैं

इन दिनों दुनिया के इस हिस्से (ताइवान) में
चीनी नववर्ष की शुरुआत थी
छुट्टियाँ थीं
लोग यात्राएँ कर रहे थे
रिश्तेदारों से मिलने जा रहे थे
देवताओं और पूर्वजों के लिए भेंट
अर्पित कर रहे थे
मन्दिरों की चिमनियों में जलाकर

इक्का-दुक्का दुकानों को छोड़कर
बन्द था सारा बाज़ार

इसी बीच ज़ोर पकड़ा
कोरोनावायरस के फैलने की सरगर्मी ने
और अचानक कोरोनावायरस की वजह से
सब जल्दी-जल्दी जानने लगे रोकथाम के उपाय

पहला उपाय था
मास्क लगाकर बाहर निकलना
जितनी दुकानें खुली थीं
और जो खुलती जा रही हैं
चीनी नववर्ष की छुट्टियाँ ख़त्म होने के बाद
सब जगह से ख़त्म हो चुके हैं फ़ेस मास्क

जिस तरह से यह वायरस फैलाता है पाँव
आदमी, आदमी को सन्देह की दृष्टि से देखता है
जैसे कि हर इंसान एक चलता-फिरता चाकू है
आदमी, कोरोनावायरस का सन्देहास्पद वाहक
जो साँस छोड़ेगा और धँसा देगा चाकू

चूँकि हवा आदमी को छूकर गुज़रती है
सन्देहास्पद है हवा भी
क्या पता कब कोई छींककर गुज़रा हो वहाँ से
और अभी तक मौजूद हों छींक की छींटें
सन्देह मिटाने के तमाम सन्देशों के बावजूद
अफ़वाहों वाले वीडियो ज़्यादा कारगर साबित हुए हैं
इन अफ़वाहों से अछूता नहीं है मेरा अपना देश
मेरे मित्रों, रिश्तेदारों की चिन्ताएँ मुझसे बड़ी हैं

मैं धोता हूँ बार-बार साबुन से‌ हाथ
कमरे में रखी चीज़ों पर भी शक़ होता है
कि कहीं से उड़कर वायरस चिपककर आ बैठा हो

हर चीज़ छूने के बाद
कुछ भी खाने से पहले
बार-बार धोता हूँ हाथ
और फिर सन्देह से देखता हूँ हैंडवॉश की बोतल को भी
एक हाथ को सन्देह है दूसरे हाथ पर

एक रेस्त्राँ में देखा
कि लोग मुँह पर मास्क लगाए खाना खा रहे हैं
सिर्फ़ मुँह में चॉपस्टिक डालने के समय
होठों से मास्क सरका देते हुए

मुझे फ़िक्र होती है
उन लोगों की जो पब्लिक सर्विस में है
बसों के ड्राइवर
सेवन इलेवन पर काम करने वाले लड़के-लड़कियाँ
जो पूरे दिन अनजान लोगों के सम्पर्क में आते हैं
अनजान लोग जो चीनी नववर्ष की छुट्टियाँ बिताकर
ना जाने कहाँ-कहाँ से आए हों
जाने कौन-सी बीमारियाँ साथ ले आए हों
पब्लिक सर्विस में लगे ये लोग
जिनके कमरे में मेरी तरह घुग्घु बनकर बैठ जाने से
ठप्प पड़ जाएगा यह शहर, यह देश
मुझे फ़िक्र है अस्पतालों के डॉक्टरों और नर्सों की
जो ‘चाकू की धार’ को सहलाकर दुरुस्त कर रहे हैं

चीनी नववर्ष के दौरान दुकानें बन्द रहने से
ख़त्म हो गया है कमरे का बहुत-सा सामान
इसे ख़रीदने मुझे वापस जाना था मार्ट
और मैं सुबह-सुबह ही निकल जाता हूँ
ताकि बचा जा सके भीड़ से
जितनी कम भीड़, उतने कम खुले चाकू
उतना कम वायरस का ख़तरा
पर मार्ट पहुँचकर देखता हूँ
मेरी ही तरह बहुत से सयाने लोगों की भीड़
सुबह-सुबह ही चली आयी है मार्ट

मार्ट के दरवाज़े पर खड़े गार्ड को देखता हूँ
और अन्दाज़ा लगाता हूँ उसके काम की कठिनता का
यह भी कि साल भर की सबसे बड़ी छुट्टियों के बाद
काम पर वापस लौटकर
वह भी इस ख़तरे के बीच
कैसा लग रहा होगा उसे
मैं उसके लिए कुछ नहीं कर सकता
इसलिए मैं मास्क लगाए हुए ही उसकी तरफ़ देख मुस्कुराता हूँ
मास्क के पीछे छुपी मेरी मुस्कुराहट की मंशा
पहचान जाता है वह
और बदले में अपने मास्क के पीछे से मुस्कुराता है

माना कि कोरोनावायरस मुख्य ख़बर है
पर इस देश में चूहे का नववर्ष* भी तो है
इसलिए ‘शिन्निन क्वायलो’ मेरे दोस्तों
हम जल्द वापसी करेंगे
सन्देह से भरोसे की ओर
हम सिर्फ़ मनुष्य होंगे
खुले चाकू नहीं!

*स्थानीय संस्कृति में हर चीन वर्ष किसी एक जानवर का वर्ष मन जाता है। इसी मान्यता के अनुसार मौजूदा वर्ष चूहे का वर्ष है।

देवेश पथ सारिया
हिन्दी कवि-लेखक एवं अनुवादक। पुरस्कार : भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (2023) प्रकाशित पुस्तकें— कविता संग्रह : नूह की नाव । कथेतर गद्य : छोटी आँखों की पुतलियों में (ताइवान डायरी)। अनुवाद : हक़ीक़त के बीच दरार; यातना शिविर में साथिनें।