क्या पहनूँगा उस दिन
जिस दिन तुमसे मिलूँगा
एक अजीब-सी मुस्कुराहट
जो समय-समय पर डर जाया करेगी
तुम्हारी पुरअसर बातों से,
रेस्तरां की खिड़की की ओर मुँह करके-
लोगों को गिनूंगा
या दिल की बातों को
कप में देर तक घोलूँगा
कड़वी-सी कॉफी
और मीठी-सी तुम्हारी बातों का
एक पैटर्न बनाऊंगा जो-
मेरे जज़्बातों के सिलवटों से मेल खायेगी
और अचानक कॉफी गिराकर
अपनी शर्ट खराब कर लूँगा।