दिन गुज़रता नहीं आता, रात
काटे से भी नहीं कटती
रात और दिन के इस तसलसुल में
उम्र बाँटे से भी नही बँटती

अकेलेपन के अन्धेरें में दूर-दूर तलक
यह एक ख़ौफ़ जी पे धुँआ बनके छाया है
फिसल के आँख से यह छन पिघल न जाए कहीं
पलक-पलक ने जिसे राह से उठाया है

शाम का उदास सन्नाटा
धुँधलका, देख, बढ़ जाता है
नहीं मालूम यह धुआँ क्यों है
दिल तो ख़ुश है कि जलता जाता है

तेरी आवाज़ में तारे से क्यों चमकने लगे
किसकी आँखों की तरन्नुम को चुरा लाई है
किसकी आग़ोश की ठण्डक पे है डाका डाला
किसकी बाँहों से तू शबनम को उठा लाई है!

मीना कुमारी
मीना कुमारी (1 अगस्त, 1933 - 31 मार्च, 1972) (असल नाम-महजबीं बानो) भारत की एक मशहूर हिन्दी फिल्मों की अभिनेत्री थीं। इन्हें खासकर दुखांत फ़िल्मों में इनकी यादगार भूमिकाओं के लिये याद किया जाता है। मीना कुमारी को भारतीय सिनेमा की ट्रैजेडी क्वीन (शोकान्त महारानी) भी कहा जाता है। अभिनेत्री होने के साथ-साथ मीना कुमारी एक उम्दा शायारा एवम् पार्श्वगायिका भी थीं। इन्होंने वर्ष 1939 से 1972 तक फ़िल्मी पर्दे पर काम किया।