निरर्थकताओं को सार्थकताओं में बदलने के लिए
हम संघर्ष करते हैं
बदहालियों को ख़ुशहालियों में बदलने के लिए
हम संघर्ष करते हैं
क्योंकि कमियाँ जब अभाव बन जाती हैं
तो वे बीमारियाँ बन जाती हैं

कोई डाक्टर नहीं बताता कि क्या-क्या अभाव है किसी के जीवन में
वे सिर्फ़ उन जगहों के बारे में पूछते हैं
जो दुख रही होती हैं
या जानलेवा दर्द उठा रही होती हैं

मौत से फिर कभी हम बाद में मरते हैं
और फिर मौत को ही ज़िम्मेदार ठहराते हैं अपनी मौत का

आज शरीर विज्ञान में हो रहे अनुसन्धान की एक ख़बर पढ़ी
कि उस दवा के सेवन से अब आदमी बूढ़ा नहीं होगा—
यह कितने दुःख की बात है कि आदमी जवान रहेगा और मर जाएगा।

Book by Leeladhar Jagudi:

लीलाधर जगूड़ी
लीलाधर जगूड़ी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी कवि हैं जिनकी कृति 'अनुभव के आकाश में चाँद' को १९९७ में पुरस्कार प्राप्त हुआ।