मुर्दों की भी एक वसीयत होती है
दुनिया में हर चीज की कीमत होती है।
इंसान तो क्या भगवान खरीदे जाते हैं
तभी तो सबसे ऊपर दौलत होती है ।
पेट की खातिर जिस्म का सौदा करती है
बिकने वाली की भी इज़्जत होती है ।
सच में थोड़ा झूठ मिला ही रहता है
झूठ की भी पर एक हकीकत होती है।
शक्ल-ओ-सूरत पर ही जान लुटाते हैं
दिल में झांक कर कहां मुहब्बत होती है।
घर को छोड़कर मंदिर मस्जिद करते हैं
सुना था मां के पैर में जन्नत होती है ।
मरे जो दुनिया फिक्र क्या करते हो ‘उन्मुक्त’
मरना तो इंसान की फितरत होती है।