मेरी गौशाला के खूँटों पर
दम तोड़ते
तीन जोड़ी बैलों की
आँखों की गहराई में
रुका हुआ एक बूँद जल
हर क्षण दिखता है
मुझे नींद नहीं आती।
टूटी खाट पर
हताश पड़े
मेरे बापू की पथरायी, निर्निमेष
आँखों की गहराई में
कठिनाई से रिसता हुआ एक बूँद जल
हर क्षण दिखता है
मुझे नींद नहीं आती।
मेरे खेतों में फट आयी
दरारों के तलान्त पर
उबलता हुआ एक बूँद जल
हर क्षण दिखता है
मुझे नींद नहीं आती।
'हम ना बोलेंगे, कमल के पात बोलेंगे'