एक दिन सभी चिड़ियाएँ
जीवन और प्रेम के गीतों से ऊब जायेंगी
स्वयं को चीलों में तब्दील कर
अपने घौंसलों में लौटने का ख़याल छोड़ देंगी
और जो लौटेंगी, वो अपने ही बच्चों को नोंच खायेंगी।
एक दिन सभी पेड़-पौधे
हरियाली और बनमाली दोनों से ऊब जायेंगे
और फूलों में पराग की जगह आग पालकर
आधुनिकता से इतना लैस हो जायेंगे कि
हम घरों में बैठे-बैठे ही मर जायेंगे।
एक दिन सभी बच्चे मिलकर
एक ऐसी सामूहिक प्रार्थना में भाग लेंगे
जिससे सभी देवताओं के सिर धरती में धँस जायेंगे
समूचा आकाश स्वयं को शापित महसूस करने लगेगा
ईश्वर अपने छुपने की जगह ढूँढ़ता रह जायेगा।
एक दिन सभी निरीह
अपने-अपने कुलदेवता का गला पकड़ लेंगे
कुलदेवता कुलदेवियों के घुटनों में पड़े होंगे
जग के ज्ञानी-ध्यानी लोग अपने कँधों का भार
अपने पांवों को सौंपकर ग़ायब हो जायेंगे।
धरती के जिस भी कोने पर
ये एक दिन अपने आप को दोहरायेगा
धरती लावे में तब्दील हो जायेगी
ज़िन्दगी के सारे मजदूर
अपना मेहनताना लिये बग़ैर ही लौट जायेंगे।