संविधान का जब हो रहा था निर्माण
तब आया था एक व्यवधान
सवाल ये था कि आखिर
संविधान की शुरुआत होगी किसके नाम।

सच भी ये था कई अन्य देशों में
किसी न किसी आकार या रूपों में
ईश्वर, अल्ला, ईशू जैसे स्वरूपों में
शुरू होता था संविधान
भगवान के ही नाम।

तो सवाल ये खड़ा था कि
हिन्दुस्तान का संविधान
शुरू होगा किसके नाम।

ज़ाहिर है कुछ लोग आगे बढ़े
भगवान का नाम लेकर अड़े
पर कुछ लोग हो गए विरोध में खड़े।

अब इस बात का कैसे हो निदान
दोनों गुटों के बीच मचा घमासान
फिर भगवान के लिए हुआ मतदान।

मत पूछिए कि क्या हुआ समाधान
आश्चर्य! बस एक वोट से हारे भगवान।

©अरुण, 09.02.19
स्रोत: द वायर, स्वरा भास्कर, 26 जनवरी 2019