साहित्य की सामग्री

राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित 'साहित्य विधाओं की प्रकृति' से  अनुवाद : वंशीधर विद्यालंकार केवल अपने लिए लिखने को साहित्य नहीं कहते हैं—जैसे पक्षी अपने आनंद के...

कविता एक नया प्रयास माँगती है

कविता एक बने-बनाए शिल्‍प और आज़माए हुए तौर-तरीक़ों वाली रचना का नाम नहीं है। कविता व्‍यावहारिक जीवन में एक वैचारिक प्रयोग भी है। यह प्रयोग केवल...

एक कुत्ता और एक मैना

'Ek Kutta Aur Ek Maina' | an essay by Hazari Prasad Dwivedi आज से कई वर्ष पहले गुरुदेव के मन में आया कि शांतिनिकेतन को...

बाहरी स्वाधीनता और स्त्रियाँ

अब वह समय नहीं रहा कि हम स्त्रियों के सामने वह रूप रक्खें, जिसके लिए गोस्वामी तुलसीदासजी ने 'चित्र-लिखे कपि देखि डेराती' लिखा है।...

आपने मेरी रचना पढ़ी?

हमारे साहित्यिकों की भारी विशेषता यह है कि जिसे देखो वहीं गम्भीर बना है, गम्भीर तत्ववाद पर बहस कर रहा है और जो कुछ...

लेखनी और तूलिका

मानव-मस्तिष्‍क में जितनी बौद्धिक क्षमताएँ होती हैं, उनके बारे में कितने ही लोग समझते हैं कि 'ध्‍यानावस्थित तद्गत मन' से वह खुल जाती हैं।...

मैं क्यों लिखता हूँ

मैं क्यों लिखता हूँ—यह प्रश्न मेरे जैसे व्यक्ति के लिए उतना स्वाभाविक नहीं जितना कि मैं क्यों न लिखूँ। जब लिखने को जी करता...

नारी और कवि

संसार के कवियों ने अनेक रूपों में नारियों को प्रत्यक्ष किया है। साहित्य के इस दर्शन के पतन का परिणाम नायिकाभेद वीभत्स चित्रों...

धर्म और युवा

'Dharm Aur Yuva', an essay by Nishant Upadhyay आज़ादी के बाद से इस देश की दो परिभाषाएँ चली आ रही हैं। एक परिभाषा, प्राचीन समय...

मार्ली साहब के नाम

"जिस काम को आप खराब बताते हैं, उसे वैसे का वैसा बना रखना चाहते हैं, यह नये तरीके का न्याय है।"

लॉर्ड मिन्टो का स्वागत

"प्रजा ताक का बालक है और प्रेस्टीज नवीन सुन्दरी पत्नी - किसकी बात रखेंगे? यदि दया और वात्सल्यभाव श्रीमान् के हृदय में प्रबल हो तो प्रजा की ओर ध्यान होगा, नहीं तो प्रेस्टीज की ओर ढुलकना ही स्वाभाविक है।"

बंग विच्छेद

"जो प्रजा तुगलक जैसे शासकों का खयाल बरदाश्त कर गई, वह क्या आजकल के माई लार्ड के एक खयाल को बरदाश्त नहीं कर सकती है?"
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