गुड़िया के भीतर
छुप कर बैठा
गडरिया (मदरिया)
गुड़िया बिचारी
चुप चुप ताके
टुक टुक ताड़े अटरिया।
गैया के थन से
काले कलम से
बहता रंग केसरिया।
भोर भये
गोवाला गाये
“दूध मिला ना बछड़वा
रीछ केसरिया
टोना चलई के
हर गया हमरी गैया।”
शाह-कलंदर, राज का जंतर,
बापू के बन्दर, रीछ के तंतर
बह गए सगळे
समय की बधिया नदिया अन्दर।
मीनारे पर
गुड़िया भीतर
तिलक लगाये
चुप चुप ताके
मदरिया (गडरिया)।