गुड़िया के भीतर
छुप कर बैठा
गडरिया (मदरिया)

गुड़िया बिचारी
चुप चुप ताके
टुक टुक ताड़े अटरिया।

गैया के थन से
काले कलम से
बहता रंग केसरिया।

भोर भये
गोवाला गाये
“दूध मिला ना बछड़वा

रीछ केसरिया
टोना चलई के
हर गया हमरी गैया।”

शाह-कलंदर, राज का जंतर,
बापू के बन्दर, रीछ के तंतर
बह गए सगळे
समय की बधिया नदिया अन्दर।

मीनारे पर
गुड़िया भीतर
तिलक लगाये
चुप चुप ताके
मदरिया (गडरिया)।

'गदा' यूसुफ़ बिन मुहम्मद
यूसुफ़ एक दिल्ली निवासी कवि हैं। इनकी कुछ अंग्रेजी कविताएं 'The Society of Classical Poets', 'Eastlit', 'The Ghazal Page', 'Transom' इत्यादि जैसी प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। अंग्रेजी काव्य के अलावा यूसुफ़ मुशायरों में भी भाग लिया करते हैं। इनकी हिंदी-उर्दू कविताएं 'स्वर्ग विभा' एवं 'दलील' जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।