“कौन हो तुम?”

“तुम कौन हो?”

“हर-हर महादेव… हर-हर महादेव!”

“हर-हर महादेव!”

“सुबूत क्या है?”

“सुबूत…? मेरा नाम धरमचंद है।”

“यह कोई सुबूत नहीं।”

“चार वेदों में से कोई भी बात मुझसे पूछ लो।”

“हम वेदों को नहीं जानते… सुबूत दो।”

“क्या?”

“पायजामा ढीला करो।”

पायजामा ढीला हुआ तो एक शोर मच गया- “मार डालो… मार डालो…”

“ठहरो… ठहरो… मैं तुम्हारा भाई हूँ… भगवान की क़सम, तुम्हारा भाई हूँ।”

“तो यह क्या सिलसिला है?”

“जिस इलाक़े से मैं आ रहा हूँ, वह हमारे दुश्मनों का है… इसलिए मजबूरन मुझे ऐसा करना पड़ा, सिर्फ अपनी जान बचाने के लिए… एक यही चीज़ ग़लत हो गई है, बाकी मैं बिल्कुल ठीक हूँ…”

“उड़ा दो ग़लती को…”

ग़लती उड़ा दी गई… धरमचंद भी साथ ही उड़ गया।

सआदत हसन मंटो
सआदत हसन मंटो (11 मई 1912 – 18 जनवरी 1955) उर्दू लेखक थे, जो अपनी लघु कथाओं, बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए। कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने बाइस लघु कथा संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पांच संग्रह, रचनाओं के तीन संग्रह और व्यक्तिगत रेखाचित्र के दो संग्रह प्रकाशित किए।