‘Ghaas’, Hindi Kavita by Avtar Singh Sandhu ‘Pash’

मैं घास हूँ
मैं आपके हर किये-धरे पर उग आऊँगा!

बम फेंक दो चाहे विश्‍वविद्यालय पर
बना दो होस्‍टल को मलबे का ढेर
सुहागा फिरा दो भले ही हमारी झोपड़ियों पर

मेरा क्‍या करोगे
मैं तो घास हूँ, हर चीज़ पर उग आऊँगा!

बंगे को ढेर कर दो
संगरूर मिटा डालो
धूल में मिला दो लुधियाना ज़िला
मेरी हरियाली अपना काम करेगी
दो साल… दस साल बाद
सवारियाँ फिर किसी कण्डक्टर से पूछेंगी
यह कौन-सी जगह है
मुझे बरनाला उतार देना
जहाँ हरे घास का जंगल है

मैं घास हूँ, मैं अपना काम करूँगा
मैं आपके हर किये-धरे पर उग आऊँगा।

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Book by Pash:

अवतार सिंह संधू 'पाश'
अवतार सिंह संधू (9 सितम्बर 1950 - 23 मार्च 1988), जिन्हें सब पाश के नाम से जानते हैं पंजाबी कवि और क्रांतिकारी थे।