Haikus: Dilip Sharma Bhardwaj
1
घटाएँ घिरीं
वर्षा बिखर गयी
तू याद आया
2
गुलाब देखा
सूख गये वो लफ़्ज़
मन था नम
3
दिन वो बीते
फिरता रहा तन
अकेलापन
4
लिखते गए
विधाएँ ही प्रेम की
उभरे ज़ख़्म
5
खेलते रहे
खामोशी से मैं तुम
व्यथित मन
6
घर घर में
होते से गये जुदा
खिंची दीवारें
7
ऊँचे पर्वत
ख़ामोश औ’ सख़्त ही
टूटते नहीं
8
सीखा हवा से
बवण्डर ले आती
ख़ामोशी में भी
9
बहते रहो
नदियों की तरह
बढ़ते चलो
10
मैं और तुम
सर्द हवाएँ बहीं
चाँद मुस्काया।