अनुवाद: पुनीत कुसुम

 

“यदि तुम्हें मैं याद हूँ, तो मुझे कोई परवाह नहीं कि और सब मुझे भूल जाएँ!”

 

“मृत्यु, जीवन का विलोम नहीं, उसी का एक हिस्सा है।”

 

“अकेलापन वह तेज़ाब है जो आपको नष्ट कर देता है।”

 

“अगर आप वही किताबें पढ़ते हो जो बाकी सब पढ़ रहे हैं, तो आप केवल वही सोच सकते हो जो बाकी सब सोच रहे हैं।”

 

“दुःख अनिवार्य है, पीड़ा वैकल्पिक है।”

 

“आप चाहे जिस भी वस्तु की इच्छा करो, वह आपको आपके अपेक्षित रूप में नहीं मिलेगी।”

 

“कुछ यादों को आप कभी नहीं छोड़ना चाहते, चाहे उसके लिए आपको कितनी ही पीड़ा क्यों न साहनी पड़े!”

 

“मौन, मैंने समझा है, एक ऐसी चीज़ है जो आप वास्तव में सुन सकते हो!”

 

“ऐसा कोई युद्ध नहीं, जो सभी युद्धों का अन्त कर दे।”

 

“मूर्खतापूर्ण चीज़ों को गम्भीरता से लेना समय को व्यर्थ करना है।”

 

“मैं कोई भी दर्द सहन कर सकता हूँ जब तक उसका कोई अर्थ हो।”

 

“विद्यालय में सबसे महत्वपूर्ण बात हम यह सीखते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण बातें विद्यालय में नहीं सीखी जा सकतीं।”

 

“दो व्यक्ति एक ही बिस्तर में सोते हुए भी अकेले हो सकते हैं, अगर वे अपनी आँखें बन्द कर लें।”

 

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हारुकी मुराकामी
हारुकी मुराकामी (जन्म- 12 जनवरी, 1949) एक जापानी उपन्यासकार हैं जिनकी कृतियाँ 50 से अधिक भाषाओं में अनुवादित करी जा चुकी हैं और जिनकी करोड़ों प्रतियाँ विश्वभर में बिक चुकी हैं। इनके उपन्यासों में अकेलेपन और अतियथार्थवाद की छवियाँ मिलती हैं।