वह अहसास
जो भरते हो ख़ुद में
खिले गुलाब को देखकर
वह क़िस्सा
हँसते हो जिस पर उन्मुक्त
बच्चों की तरह
वह आकाश
तुम्हारे मन का
उगता रहे इंद्रधनुष
अपने कुलीन रंग में जहाँ
वही
वही मैं
होना चाहता हूँ
तुम जिसे महसूस सको
कर सको थोड़ा विश्वास
वैसी
होनी है कोई कविताा।