‘Hum Sab Banaaein Lekin’, a poem by Manpreet Singh
हम मस्जिद बनाएँगे
चर्च बनाएँगे
गुरुद्वारा बनाएँगे
मंदिर बनाएँगे
हम जातियाँ बनाएँगे
उपजातियाँ बनाएँगे
गोत्र बनाएँगे
हम देश बनाएँगे
राज्य बनाएँगे
ज़िला, शहर सब बनाएँगे
हम राजा बनाएँगे
पुलिस बनाएँगे
थाने और जेल बनाएँगे
लेकिन हम राजा के राजा होने पर सवाल नहीं उठाएँगे
पुलिस की ज़रूरत होने पर सवाल नहीं उठाएँगे
धर्म के अस्तित्व पर सवाल नहीं उठाएँगे
अपने प्रजा होने पर सवाल नहीं उठाएँगे
उलझे रहेंगे तमाम फ़िज़ूल की बातों में
लड़ते रहेंगे, ख़ून बहाते रहेंगे, चोट खाते रहेंगे
लेकिन सवाल हम नहीं उठाएँगे
क्योंकि, ये दौर सत्ता से चिपक जाने का है
राजा को सलाम करने का है
सवाल करने का नहीं, चुप बैठ जाने का है…