‘Jab Aap Prem Mein Hote Hain’, a poem by Ankit Kumar Bhagat

सूरज भी करता है प्रेम
अपनी किरणों से,
यद्यपि वह गोला है ‘आग’ का।
जबकि वो जंगल ‘असभ्य’ है,
करता है प्रेम-निवेदन
बसंती हवाओं से,
ठूँठ से दिखने वाले पेड़ भी
बतियाते हैं मीठी बातें
और रोते भी हैं,
अपने साथी को
गले न लगा पाने के दु:ख में।

जब आप प्रेम में होते हैं,
ब्रह्माण्ड का कण-कण
बँध जाता है
अदृश्य मानसिक सूत्रों से,
गुरुत्वाकर्षण की जगह
लागू होते हैं
प्रेम के नियम
धरती-आकाश-चाँद-तारे
सूरज और ग्रहों के मध्य।
ताल-सरोवर-बूँदें-नदियाँ
सब चलते हैं दिन-रात
प्रणय की आकुलता लिए।

सरसों में खिलती हैं
मन की परतें
पीले रंग की आभा में,
प्रकृति सहेजती है
मुलाक़ात की संजीदा स्मृतियाँ।
जब आप प्रेम में होते हैं,
केवल तभी जोड़ पाते हैं
स्वयं को
पतझड़ के रूखेपन से भी,
केवल तब
समझते हैं आप
पर्वत की अचल मजबूरी
और बादल की व्यग्रता को।
केवल तब
रची जा सकतीे हैं कविताएँ।

जब आप प्रेम करते हैं,
हो जाते हैं आप-
पहले से अधिक ‘सम्वेदनशील’।
इसलिए मैं कहता हूँ
‘आदमी’ का प्रेम में पड़ना
सृष्टि में, जीवन की
सबसे ख़ूबसूरत सम्भावना है।

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अंकित कुमार भगत
Completed secondary education from Netarhat Vidyalaya and secured state 3rd rank in 10th board,currently persuing B.A. in Hindi literature from IGNOU. Interested in literature,art works like painting and scketching and occasionally play mouth organ..